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देवभूमि उत्तराखंड में मेगास्टार आज़ाद

  • Writer: Megastar Maharishi Aazaad
    Megastar Maharishi Aazaad
  • Dec 22, 2019
  • 2 min read

विश्व सिनेमा के इतिहास में मुख्यधारा की पहली संस्कृत फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि का भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी एवं देश की राजधानी दिल्ली में भव्य प्रदर्शन एवं अभूतपूर्व सफलता के बाद मेगास्टार आज़ाद और सनातनी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे अपने दल-बल के साथ उत्तराखंड की यात्रा पर हैं। आज़ाद ने देवभाषा संस्कृत के संवर्धन, संरक्षण एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरे देश में शंखनाद किया है। देश में संस्कृत, राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी सरकारों के सत्तासीन होने के पीछे आज़ाद की भी महती भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। ध्यान देने योग्य बात ये है कि संस्कृत के पुनरुत्थान काल में उत्तराखंड सरकार ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए संस्कृत को विद्यालयों में अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने का निश्चय किया है जिसकी वजह से आज़ाद ने उन्हें धन्यवाद दिया है ।

मेगास्टार आज़ाद अपनी इस अति महत्वपूर्ण यात्रा में संस्कृत एवं भारत की दिव्य संस्कृति से जुड़े हर एक व्यक्ति को अपने अभियान से जोड़ने का सफल प्रयास किया है। इसी कड़ी में सैन्य विद्यालय के यशस्वी छात्र एवं फ़िल्मकार मेगास्टार आज़ाद योग को विश्व संस्कृति का रूप देने वाले योगगुरु बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ आश्रम भी गए और वहाँ संस्कृत, संस्कृति एवं भारतीय अध्यात्म दर्शन से सम्बंधित महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलकर सघन विचार-विमर्श किया। देवभाषा संस्कृत के पुनरुत्थान के इस महायज्ञ में उन्हें भी सम्मिलित होने का आवाहन किया। आज़ाद ने योग ऋषियों के साथ अपनी आगामी फ़िल्मों एवं नाट्यमंचन के विषयों पर विस्तार से चर्चा की । अंत में सनातनी राष्ट्रवादी आज़ाद ने हर की पौड़ी में स्नान करते हुए माँ गंगा की आराधना की और संस्कृत को जन भाषा बनाने के अपने भगीरथ प्रण की फिर से घोषणा की। आज़ाद की इस पुनर्जागरण यात्रा में उनके साथ सनातनी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे, बी. एच्. यू के व्याकरण विभाग के आचार्य बृज भूषण ओझा सहित विश्व साहित्य परिषद्, आज़ाद फेडरेशन, बॉम्बे टॉकीज़ फाउंडेशन, वर्ल्ड लिटरेचर आर्गेनाइजेशन एवं सम्पूर्ण बॉम्बे टॉकीज़ की टीम भी थी ।

ज्ञातव्य है कि अहम ब्रह्मास्मि का निर्माण 1934 में भारतीय सिनेमा के शिखर पुरुष राजनारायण दुबे द्वारा स्थापित भारतीय सिनेमा के आधारस्तम्भ द बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडियोज और क्रांतिकारी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे ने संयुक्त रूप से किया है। अहम ब्रह्मास्मि जैसे कालजयी कृति का लेखन,निर्देशन के साथ ही मेगास्टार आज़ाद ने मुख्य भूमिका को अपने सजीव अभिनय से जीवंत किया है।

 

 
 
 

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